भारतीय प्रशासन एवं राजनीति

भारतीय संविधान की विशेषताएं

भारतीय संविधान अपने मूल भावना के संबंध में अद्वितीय है। हालांकि इसके कई तत्व विश्व के विभिन्न संविधानों से उधार लिये गये हैं। भारतीय संविधान के कई ऐसे तत्व हैं, जो उसे अन्य देशों के संविधानों से अलग पहचान प्रदान करते हैं। भारतीय संविधान की विशेषताएं संविधान के वर्तमान रूप में इसकी विशेषताएं निम्नलिखित हैं- […]

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संविधान के आधारभूत ढांचे का सिद्धांत और संविधान संशोधन

संविधान के मूल ढांचे की धारणा का आशय यह है कि संविधान की कुछ व्यवस्थाएं अन्य व्यवस्थाओं की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है, वे संविधान के मूल ढाँचे के समान है और समस्त संवैधानिक व्यवस्था उन पर ही आधारित है और इनमे संशोधन करने की शक्ति संसद के पास भी नहीं होती है। संविधान के

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भारतीय संविधान के स्त्रोत

संविधान निर्माता अनेक स्थानों से संविधान निर्माण के लिए विषय वस्तु का संकलन करते हैं। संविधान सभा द्वारा निर्मित लिखित दस्तावेज ही संविधान नहीं होता। संविधान की विचारधारा, मान्यताएं एवं दर्शन को कहीं न कहीं से प्रेरणा अवश्य मिलती है। संविधान निर्मित शासन तंत्र का आधार भी किसी न किसी अन्य तंत्र से स्फूर्ति ग्रहण

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भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947

20 फरवरी 1947 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने घोषणा की कि 30 जून 1947 को भारत में ब्रिटिश शासन समाप्त हो जाएगा। इसके बाद सत्ता उत्तरदाई भारतीय हाथों में सौंप दी जाएगी। इस घोषणा पर मुस्लिम लीग ने आंदोलन किया और भारत के विभाजन की बात कही। 3 जून 1947 को ब्रिटिश सरकार ने

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भारत शासन अधिनियम 1935

भारत शासन अधिनियम 1935 यह अधिनियम भारत में पूर्ण उत्तरदाई सरकार के गठन में एक मील का पत्थर साबित हुआ। यह एक लंबा और विस्तृत दस्तावेज था जिसमें 321 धाराएं और 10 अनुसूचियां थी। अधिनियम की विशेषताएं – 1. इसने अखिल भारतीय संघ की स्थापना की, जिसमें राज्य और रियासतों को एक इकाई की तरह

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भारत शासन अधिनियम 1919

    भारत शासन अधिनियम 1919                            CONTENT       अधिनियम की विशेषताएं       साइमन आयोग       सांप्रदायिक अवार्ड 20 अगस्त 1917 को ब्रिटिश सरकार ने पहली बार घोषित किया कि उसका उद्देश्य भारत में क्रमिक रूप से उत्तरदाई

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भारत के संविधान का इतिहास और विकास

भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी 1600 ई. में व्यापार करने आयी। महारानी एलिजाबेथ प्रथम के चार्टर द्वारा उन्हें भारत में व्यापार करने के विस्तृत अधिकार प्राप्त थे। 1858 में सिपाही विद्रोह के परिणाम स्वरूप ब्रिटिश राज ने भारत के शासन का उत्तरदायित्व प्रत्यक्ष रूप से अपने हाथों में ले लिया। यह शासन 15 अगस्त 1947

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निर्वाचन आयोग

        निर्वाचन आयोग (election commison)   निर्वाचन आयोग एक स्थाई एवं स्वतंत्र निकाय है। इसका गठन भारत के संविधान द्वारा देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के उद्देश्य से किया गया था। संविधान के अनुच्छेद 324 के अनुसार संसद, राज्य विधानमंडल, राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के पदों के निर्वाचन के लिए

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भारत का राष्ट्रपति

  भारत का राष्ट्रपति ( president of India )                                          CONTENT  परिचय राष्ट्रपति पद हेतु योग्यताएं राष्ट्रपति की निर्वाचन प्रक्रिया कार्यकाल महाभियोग की प्रक्रिया राष्ट्रपति की शक्तियां सामान्यकालीन शक्तियां , संकटकालीन शक्तियां |     परिचय

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M.M. punchhi commission-एम.-एम-पुंछी-आयोग

  M.M. punchhi commission – एम. एम. पुंछी आयोग     अप्रैल 2007 में केंद्र सरकार ने केंद्र राज्य संबंधों की समीक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय के भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश मदन मोहन पंछी की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया| इस आयोग का गठन इसलिए किया गया था कि दो दशक पहले गठित सरकारिया

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