अंतर्राष्ट्रीय राजनीति

गुजराल सिद्धान्त

गुजराल सिद्धान्त भारत की विदेश नीति का एक मील का पत्थर है। इसका प्रतिपादन वर्ष 1996 में तत्कालिक देवगौड़ा सरकार के विदेश मन्त्री आई. के. गुजराल ने किया था। यह सिद्धान्त इस बात की वकालत करता है कि भारत दक्षिण एशिया में सबसे बड़ा देश होने के नाते अपने छोटे पड़ोसियों को एकतरफा रियायतें दे। […]

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संयुक्त राष्ट्र संघ

संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) की विभीषिका तथा उसकी विनाश-लीला से त्रस्त होकर विश्व के प्रमुख राष्ट्रों ने भावी महायुद्ध की सम्भावना को कम करने के लिये, पारस्परिक सुरक्षा, शान्ति एवं कल्याण को दृष्टि में रखते हुए एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता का अनुभव किया और उसे क्रियात्मक रूप देने के

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द्वितीय विश्व युद्ध : कारण व प्रभाव

  द्वितीय विश्व युद्ध : पृष्ठभूमि, कारण व प्रभाव इस शताब्दी के इतिहास में ही नहीं, बल्कि मानव जाति के इतिहास मे भी द्वितीय विश्व युद्ध का विस्फोट एक निर्णायक घटना है। अनेक इतिहासकारों का मानना है कि वास्तव में यह त्रासदी इस अहसास के लिए जरूरी है कि समस्त भूमण्डल के देशों की नियति

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राष्ट्रीय शक्ति और तत्व

राष्ट्रीय शक्ति क्या है ? अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के विद्वानों ने राष्ट्रीय शक्ति को राष्ट्र का एक सबसे बड़ा केन्द्र बिन्दु माना है, जिसके चारों ओर उसकी विदेश नीति के विभिन्न पहलू चक्कर काटते रहते हैं। राष्ट्रीय शक्ति राष्ट्र की वह क्षमता है जिसके बल पर वह दूसरे राष्ट्रों से अपनी इच्छा के अनुरूप कोई कार्य

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मार्गेंथाऊ के यथार्थवाद के छ: सिद्धांत

  हैंस जे. मार्गेंथाऊ शिकागो विश्वविद्यालय (अमेरिका) के राजनीति विज्ञान विभाग में प्राचार्य थे। वे इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी के सदस्य, वाशिंगटन सेंटर ऑफ फॉरेन पॉलिसी रिसर्च के सहयोगी तथा अनेक विश्वविद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर रह चुके थे। अंतर्राष्ट्रीय राजनीति की यथार्थवादी विचारधारा के वे प्रतिनिधि प्रवक्ता हैं, तथा वर्षों तक वे अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के

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अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का अर्थ, परिभाषा, स्वरूप और विषय क्षेत्र

अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का अर्थ: मुख्य रूप से राष्ट्रों के मध्य पाई जाने वाली राजनीति को अंतर्राष्ट्रीय राजनीति की संज्ञा प्रदान की जाती है। यदि राजनीति के अर्थ का अध्ययन करें तो इसके अंतर्गत तीन प्रमुख बातें सामने आती हैं- 1) समुदायों का अस्तित्व, 2) समुदायों के बीच मतभेद, 3) कुछ समुदायों द्वारा अन्य समुदायों के

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भारतीय विदेश नीति:अर्थ,उद्देश्य,विशेषताएं

            CONTENT: विदेश नीति का अर्थ, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, भारतीय विदेश नीति के उद्देश्य, भारतीय विदेश नीति के निर्धारक तत्व, प्रमुख विशेषताएं या सिद्धांत, विदेश नीति का अर्थ विदेश नीति एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, जहां विभिन्न कारक (विभिन्न देश) विभिन्न स्थितियों में अलग-अलग प्रकार से एक दूसरे को प्रभावित

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आसियान : दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संगठन

               संदर्भ  परिचय, आसियान की स्थापना, आसियान सदस्य राष्ट्र, आसियान के उद्देश्य, आसियान के प्रमुख अभिकरण, आसियान के शिखर सम्मेलन, आसियान की भूमिका। परिचय ‘दक्षिण पूर्वी एशिया’ शब्द का प्रयोग उन देशों के लिए किया जाता है, जो हिंद महासागर के पूर्व तथा पश्चिमी प्रशांत महासागर के क्षेत्र में

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राष्ट्र संघ की असफलता के कारण

संघ की असफलता के कारण           CONTENT: उग्र राष्ट्रीयता सार्वभौमिकता का अभाव अमेरिका का सदस्य न बनना राष्ट्र संघ द्वारा युद्ध रोकने की ढीली व्यवस्था घृणा पर आधारित राष्ट्र संघ की स्थापना विश्व इतिहास का एक नया मोड़ थी। युद्ध को समाप्त कर शांति स्थापना के लिए इसका निर्माण मानवता के

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राष्ट्र संघ के कार्य

राष्ट्र संघ के कार्य राष्ट्र संघ का मुख्य उद्देश्य शांति के लिए प्रयास करना था। राष्ट्र संघ का जन्म वास्तव में अंतरराष्ट्रीय शक्तियों की ही मांग पर हुआ था। संधि एवं समझौतों पर आधारित निर्णयों को क्रियान्वित करके विभिन्न देशों के बीच सौहार्द एवं समन्वय लाना राष्ट्र संघ का प्रमुख उद्देश्य था। विशेषतया वर्साय संधि

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